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कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल

पंजाब सरकार पराली जलाने से रोकने को ले कर सख्त, कृषि विभाग के कर्मचारियों की छुट्टी रद्द..

पंजाब सरकार पराली जलाने से रोकने को ले कर सख्त, कृषि विभाग के कर्मचारियों की छुट्टी रद्द..

पंजाब के कृषि मंत्री ने पराली जलाने (stubble burning) पर प्रतिबंध को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए पिछले दिनों अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान, उन्होंने अधिकारियों को जमीनी स्तर पर किसानों के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिबंध का ठीक से पालन हो। खेती का सीजन जोरों पर है। आने वाले दिनों में धान की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाएगी। बहुत जगह फसल तैयार भी हो चुकी हैं और कटाई शुरू हो चुकी है। इसी कड़ी में पंजाब सरकार ने बहुत ही सक्रिय भूमिका निभाई है। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए इस बार पंजाब सरकार जमीनी स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रही है और इसको ध्यान मे रखते हुए पंजाब सरकार ने एक उल्लेखनीय निर्णय लिया है जिसमे कृषि विभाग सहित सभी कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दी है। कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल (Kuldeep Singh Dhaliwal ने इस बारे में जानकारी साझा की है। ये भी पढ़े: पराली जलाने पर रोक की तैयारी

इस तारीख तक छुट्टी रद्द

पंजाब सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य के कृषि विभाग के कर्मचारियों की 7 नवंबर तक की छुट्टी रद्द करने का फैसला किया है। दरअसल पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने बीते रोज पराली जलाने को रोकने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की और जिला स्तर पर क्रियान्वयन करने के लिए इसके रोडमैप पर चर्चा की। मंत्री महोदय ने कहा कि राज्य में पराली जलाने की प्रथा को रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। इन कदमों में शिक्षा और प्रवर्तन भी शामिल हैं। मंत्री ने कृषि विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को जमीनी स्तर पर ध्यान केंद्रित कर काम करने के लिए कहा। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे 7 नवंबर तक विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को छुट्टी न दें। कृषि मंत्री ने पराली जलाने को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने और सभी गतिविधियों की निगरानी के लिए एक राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है। सख्त निर्देश देते हुए मंत्री महोदय ने सेंट्रल कंट्रोल रूम बनाने के भी आदेश दिए हैं। ये भी पढ़े: पराली प्रदूषण से लड़ने के लिए पंजाब और दिल्ली की राज्य सरकार एकजुट हुई दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दी के मौसम में गंभीर वायु प्रदूषण होता है। प्रदूषण की शुरुआत अक्टूबर महीने से हो जाती है। यह वही समय है जब पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाया जाता है जो की एक गंभीर समस्या का रूप ले लेता है। हाल के वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं जिसमे किसानों को जागरूक भी किया जा रहा हैं। इसी समय दिल्ली एनसीआर में पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण का अनुपात 40% से अधिक दर्ज किया है। खुले में पराली को जलाने से वातावरण में बड़ी मात्रा में हानिकारक प्रदूषक निकलते हैं, जिनमें गैसें भी शामिल हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। ये प्रदूषक को वातावरण में फैलने से रोकना चाहिए क्योंकि ये भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों से गुजरते हैं और अंततः धुंध की मोटी चादर बना देते हैं। इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ये भी पढ़े: पंजाब सरकार बनाएगी पराली से खाद—गैस पराली जलाने से बचने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार राष्ट्रीय पराली नीति बनाई है। राज्यों को इसका सख्ती से पालन करने का दिशा निर्देश भी दिया गया है। आज तक, खेतों में पराली को नष्ट करने के लिए कोई प्रभावी और उपयुक्त तरीके और मिशनरी सामने नहीं आए हैं। हैपीसीडर व एसएमएस सिस्टम से प्रणाली भूसे को खेत में मिलाया जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से ठोस प्रणाली नहीं है जिससे खेत अगली फसल के लिए पूरी तरह से तैयार हो सके। पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए पिछले चार साल में केंद्र सरकार ने पंजाब पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। खेतों में अभी भी बड़ी संख्या में पराली जलाई जा रही है।
खुशखबरी: इस राज्य में कृषि संबंधित नयी नीति जारी करेगी राज्य सरकार

खुशखबरी: इस राज्य में कृषि संबंधित नयी नीति जारी करेगी राज्य सरकार

पंजाब सरकार ने प्रदेश में कृषि प्रणाली को बेहतर बनाने हेतु ३१ जनवरी २०२३ को नवीन कृषि नीति को जारी करने की योजना बनाई है। जानिए किसानों के हित में इसमें क्या क्या लाभ हैं। देश की कृषि अर्थव्यवस्था में पंजाब जो कि एक कृषि प्रधान राज्य है, जिसने अपना अहम योगदान दिया है। प्रदेश के किसान खाद्यान्न से लेकर बागवानी फसलों का भी अच्छा खासा उत्पादन कर रहे हैं। पंजाब राज्य के किसानों को भी विभिन्न समस्याओं से झूझना पड़ रहा है। इसी कारण से अब राज्य सरकार द्वारा बेहतरी हेतु नवीन कृषि नीतियों को जारी करने का निर्णय लिया गया है। इस संदर्भ में स्वयं पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल (Kuldeep Singh Dhaliwal ने अवगत किया है। पंजाब राज्य में किसान एवं कृषि श्रमिक आयोग द्वारा आयोजित किसान गोष्ठी के मौके पर पंजाब के कृषि विकास मॉडल-कुछ नीतिगत मुद्दे' से संबंधित संबोधन करते हुए कृषि मंत्री धालीवाल ने विस्तृत रूप से नवीन कृषि नीतियों से जुड़ी जानकारी दी हैं। हम इस लेख में यही जानेंगे कि नवीन कृषि नीति से पंजाब के कृषकों व कृषि हेतु विशेष क्या रहने वाला है।

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आखिर किन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना है

किसान गोष्टी को संबोधित करते हुए पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल का कहना है कि पंजाब की भूगोल, मृदा स्वास्थ्य एवं कृषि में जल की उपलब्धता पर जोर देते हुए पंजाब की नवीन कृषि नीति जारी होगी जिसके लिए कार्य प्रारंभ हो चुका है, साथ ही अच्छे नतीजों हेतु देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, विशेषज्ञ एवं किसान संगठनों से जुड़कर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

किन क्षेत्रों में बेहतरी की आवश्यकता है

किसान गोष्ठी के दौरान 'पंजाब के कृषि विकास मॉडल-कुछ नीतिगत मुद्दे' पर संबोधन के दौरान पंजाब राज्य के कृषि मंत्री धालीवाल ने भूतपूर्व सरकारों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान समय में पंजाब पुरानी गलत नीतियों की वजह से आज पंजाब का पर्यावरण, उपजाऊ भूमि, शुद्ध जल, हवा पूर्णरूप से विपरीत स्थिति में है। राज्य में प्रदूषित जल, जहरीली हवा और बंजर भूमि होती जा रही है, जिसको बेहतर नीति एवं दृण निश्चय के साथ सख्ती से बेहतर बनाया जाएगा।

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प्राकृतिक खेती हेतु क्या नीति बनाई गयी है

कृषि मंत्री धालीवाल के अनुसार प्राकृतिक खेती हेतु विशेष रूप से कृषि नीति बनाने की घोषणा की है। धालीवाल का कहना है, कि कृषि में उर्वरक, रासायनिक खरपतवारनाशक दवाएं एवं कीटनाशकों से लोगों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो रही हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु जलवायु के अनुसार कार्य करना होगा, क्योंकि किसानों का कार्य केवल खेती-किसानी तक ही सीमित नहीं है। यह प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य से सम्बंधित विषय है। राज्य सरकार किसानों को मशीनीकरण की तरफ प्रोत्साहित कर रही है, जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें इसलिए किसानों को मशीनों का प्रयोग करना चाहिए।